Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Jan 2024 · 1 min read

*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*

मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)
🪴🪴🍃🍂🍃🪴🪴
1)
मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप।
सुनी अयोध्या ने पुनः, रघुवर की पदचाप।।
2)
घर लौटे हैं राम जी, आज एक त्यौहार।
लाई बाइस जनवरी, अनुपम हर्ष अपार।।
3)
त्रेता जैसा लग रहा, तीर्थ अयोध्या धाम।
कण-कण मानो गा रहा, राम राम जय राम।।
4)
प्राण-प्रतिष्ठित हो गए, जन्मभूमि में राम।
भव से तारणहार है, केवल यह ही नाम।।
5)
आतुर सारा विश्व है, दर्शन को शुभ रूप।
राम अयोध्या के नहीं, सकल विश्व के भूप।।
6)
रामराज्य प्रभु राम जी, भारत की पहचान।
तीर्थ अयोध्या जन्म-भू, सरयू इसकी शान।।
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Loading...