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16 Jan 2024 · 1 min read

मुनव्वर राना

हुस्न, जुल्फों और कोठों से ग़ज़ल को घसीटकर माँ तक लाने का श्रेय जिस शख्स को है, उसका नाम ही “मुनव्वर राना” है। उन्होंने ग़ज़ल में इश्क की जगह रिश्तों को बोया। तभी तो उन्होंने लिखा :
किसी को घर मिला हिस्से में
या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से में माँ आई।

कुछ लोगों ने कहा कि ग़ज़ल महबूबा के लिए होती है। तब उन्होंने कहा था- क्यों… माँ महबूबा नहीं हो सकती? आज समाज में रिश्ते दरक रहे हैं। अगर मेरी गज़लों से देश का दस फीसदी युवा भी अपने माता-पिता से मोहब्बत करने लगे , तो समझूंगा कि मेरा लिखना सफल हो गया।
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं
फिर से फरिश्ता हो जाऊँ,
माँ से इस कदर लिपट जाऊँ
कि बच्चा हो जाऊँ।

गत 14 जनवरी 2024 को इस महान शायर का निधन हो गया। मुनव्वर राना साहब को शत शत नमन्,,, विनम्र श्रद्धांजलि,,,,💐

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
Tag: लेख
10 Likes · 7 Comments · 147 Views
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