पैसा-पैसा-पैसा———

उतना ही है आज मेरे पास पैसा,
कि भर सकूं पेट फकीरों का भी,
और खरीद सकूं विरोधियों को भी,
खरीद सकूं आजादी को भी,
इसीलिए जी.आज़ाद हूँ ,
क्योंकि मेरे पास पैसा है।
जी हाँ, मेरे पास पैसा है,
खुश है मेरे माता- पिता,
वो देखकर मेरे पास पैसा,
अब नहीं कहते मुझको नालायक,
मेरे भाइयों और मेरी पत्नी की भी,
मेरे बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है,
क्योंकि मेरे पास पैसा है।
पड़ौसी भी आश्चर्यचकित है,
समाज भी अचंभित है,
देश को भी विश्वास नहीं हो रहा है,
देखकर मेरे पास पैसा,
और मेरी सेवा को लालायित है,
अब हर कोई बिना कहे,
क्योंकि मेरे पास पैसा है।
सुना है सुपारी दी जा रही है,
मेरे परिचितों और मेरे विरोधियों द्वारा,
चोर- लूटेरों को मुझको लूटने के लिए,
बदमाशों और अपहरणकर्ताओं को,
मेरे पैसों के लिए मेरे अपहरण के लिए,
या मुझको मारकर मेरा पैसा पाने के लिए,
क्योंकि मेरे पास पैसा है।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)