Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

मोहबत और चाय

🌱🌱☕ चाय ☕🌱🌱

☕ पानी की गर्माहट में ☕
☕ पत्तियों ने रंग बिखेरा है ☕
☕ चीनी ने भी आकर इनको घेरा है ☕
☕ अदरक और इलायची में समा ठहरा है ☕
☕ दूध भी जाकर इनमें मिल बैठा है ☕
☕ कुछ उबाल से आने लगे ☕
☕ खुशबू से नथुने सहलाने लगे ☕
☕ बाहर भीड़ सी खड़ी है ☕
☕ सब धर्मों की कतार सी लगी है ☕
☕ क्या पंडित , क्या मौलवी ☕
☕ सबमे होड़ लगी है ☕
☕ जात ना देखे , पात ना देखे ☕
☕ अमीर ना देखें ना देखे कोई गरीब ☕
☕ रंग ना देखे , रूप ना देखे ☕
☕ सबके संग खुश ☕
☕ पी के इसको सब ☕
☕ अपने गम भूल जाते है ☕
☕ कोई खुद सा नही रहता ☕
☕ सब एक हो जाते है ☕
☕ ये चाय है हुजूर ☕
☕ पीजिए ओर कीजिये गुरुर ☕
☕☕☕🌱🌱🌱☕☕☕

Language: Hindi
158 Views

You may also like these posts

क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
सही कदम
सही कदम
Shashi Mahajan
नसीबों का खेल है प्यार
नसीबों का खेल है प्यार
Shekhar Chandra Mitra
करबो हरियर भुंईया
करबो हरियर भुंईया
Mahetaru madhukar
राख देह की पांव पसारे
राख देह की पांव पसारे
Suryakant Dwivedi
"ज्वाला
भरत कुमार सोलंकी
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
- माता पिता न करे अपनी औलादो में भेदभाव -
- माता पिता न करे अपनी औलादो में भेदभाव -
bharat gehlot
बेमिसाल इतिहास
बेमिसाल इतिहास
Dr. Kishan tandon kranti
सजना है मुझे सजना के लिये
सजना है मुझे सजना के लिये
dr rajmati Surana
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
नारी शक्ति का हो 🌹🙏सम्मान🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
Wishing you a Diwali filled with love, laughter, and the swe
Lohit Tamta
हे राम तुम्हारे आने से बन रही अयोध्या राजधानी।
हे राम तुम्हारे आने से बन रही अयोध्या राजधानी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
Ravi Prakash
किताबें
किताबें
Dr. Bharati Varma Bourai
कुंडलिया
कुंडलिया
अवध किशोर 'अवधू'
प्रत्युत्पन्नमति
प्रत्युत्पन्नमति
Santosh kumar Miri
द्वैष दुर्भाव
द्वैष दुर्भाव
Sudhir srivastava
संवेदना
संवेदना
Khajan Singh Nain
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
पूर्वार्थ
प्रिय मित्रों!
प्रिय मित्रों!
Rashmi Sanjay
अंजान बनकर चल दिए
अंजान बनकर चल दिए
VINOD CHAUHAN
😊
😊
*प्रणय*
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
jogendar Singh
यू-टर्न
यू-टर्न
Shreedhar
Loading...