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28 Dec 2023 · 1 min read

ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है

ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है।
छुपाने को तुमसे, कुछ भी नहीं है।।
अब चाहे कुछ भी करो फैसला तुम।
इससे शिकायत हमको, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और———————-।।

नहीं है हमारा, चांद सा मुखड़ा।
नहीं है तन पे हमारे, सोने का कपड़ा।।
इस छोटे से घर में रहते हैं हम तो।
हमारे पास महल- दौलत, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और———————-।।

इनसे जुड़े हैं, हमारे तो रिश्तें।
इन्हीं के संग हम, जीते हैं हंसते।।
और इसी मिट्टी में, हमने जन्म लिया है।
इससे मगर नफरत हमें, कुछ भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और———————-।।

पहनना नकाब, हमको नहीं पसंद है।
और नकली हंसी, हमको नहीं पसंद है।।
बेचना नहीं है हमको, अपना ईमान।
लुटाना अपना घर हमें, पसंद भी नहीं है।।
ऐसे हैं हम तो, और———————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
212 Views

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