Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Dec 2023 · 1 min read

….नया मोड़

……..नया मोड़……

आंखों में बसी है नमी खुदा
क्यों हो रही हु मैं खुदसे जुदा

चाहती हूं कोई दिल से लगाए
हो रही हूं खुद मे ही जैसे गुमसुदा

अजीब सा डर है दिल में समाया हुआ
बोझ जिम्मेदारियों का भी आया हुआ

रोने लगी हैं आंखें अब बहुत
बस बदल रही है अब ज़िंदगी बहुत

फिजा भी छूकर बेचैन कर जाती हैं
तारो से गुफ्तगू मे भी आंखें रुलाती हैं

वे भी जिम्मेदारी के नियम बताती हैं
अंधकार मे भी होना रोशन सिखाती हैं

बातों को सुन हंसी सी छूट जाती है
ऐसे मे केवल बाबुल की याद आती है

ऐ खुदा ! है अजीब मोड़ यह भी ज़िंदगी का
बस ,तेरी रहमत है तेरी बंदगी का
……………………………
नौशाबा जिलानी सुरिया

Language: Hindi
Tag: Poem
1 Like · 249 Views

You may also like these posts

है वक़्त बड़ा शातिर
है वक़्त बड़ा शातिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तलाश सूरज की
तलाश सूरज की
आशा शैली
आमंत्रण और निमंत्रण में क्या अन्तर होता है
आमंत्रण और निमंत्रण में क्या अन्तर होता है
शेखर सिंह
"चुभती सत्ता "
DrLakshman Jha Parimal
पहले खुद संभलिए,
पहले खुद संभलिए,
Jyoti Roshni
सत्य की राह
सत्य की राह
Seema gupta,Alwar
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
प्रकृति इस कदर खफा हैं इंसान से
प्रकृति इस कदर खफा हैं इंसान से
Harinarayan Tanha
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
Dr fauzia Naseem shad
(वक्त)
(वक्त)
Sangeeta Beniwal
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
23/56.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/56.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मदिरा पीने वाला
मदिरा पीने वाला
राकेश पाठक कठारा
मेरा इतिहास लिखोगे
मेरा इतिहास लिखोगे
Sudhir srivastava
सच
सच
Neeraj Agarwal
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
नया बर्ष आया है, खुशियों का पिटारा लाया है।
नया बर्ष आया है, खुशियों का पिटारा लाया है।
Phoolchandra Rajak
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
गमों के बीच मुस्कुराने की आदत डालो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" साया "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता
कविता
Rambali Mishra
विगत काल की वेदना,
विगत काल की वेदना,
sushil sarna
आगाह
आगाह
Shyam Sundar Subramanian
घनाक्षरी
घनाक्षरी
अवध किशोर 'अवधू'
मैंने ख़ुद को सही से समझा नहीं और
मैंने ख़ुद को सही से समझा नहीं और
Rekha khichi
👌सांझ का दोहा👌
👌सांझ का दोहा👌
*प्रणय*
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
पूर्वार्थ
हिंदी दोहे - सभा (दोहाकार- राजीव नामदेव राना लिधौरी)
हिंदी दोहे - सभा (दोहाकार- राजीव नामदेव राना लिधौरी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...