अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
*महाराजा अग्रसेन और महात्मा गॉंधी (नौ दोहे)*
*रे इन्सा क्यों करता तकरार* मानव मानव भाई भाई,
!! सत्य !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"गरीबी मिटती कब है, अलग हो जाने से"
वक्त अपनी करवटें बदल रहा है,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
पीड़ा किसको चाहिए कौन लखे दुख द्वेष ।
मुझसे न पूछ दिल में तेरा क्या मुक़ाम है ,
నా గ్రామం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं