Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2023 · 1 min read

अंधकार जो छंट गया

अंधेरे है मगर
इतना खौफनाक मंजर
भयानक आवाज़,
दृश्यमान कुछ है नहीं,

मगर प्राण कंप उठे है,
चेहरे पर पसीना, आंखें सूर्ख लाल,
आंखों की पुतली जैसे भौंह के पीछे छुप गई,
सन्नाटा टूटने लगा,
तेज हवाएं,
आसमां में बादल,
उनके टकराने पर तड़क बिजली,
तड़ित न हुई,
शुक्रगुज़ार उसका,

पक्षी वृक्षों के आश्रय,
टूटने लगी टहनी
वृक्ष गिरे
साथ कुचले गये,

मूसलाधार वर्षा,
उडने वाले उड न सके
गति अपनी बढ़ा न सके,
पंख गीले
ओलावृष्टि जैसी तेज बूंदें.

सरपट दौड़ लगाता पानी,
छीनते देख,
पैरों तले की जमीन,
खिसक गई.
अंधकार हैं मगर
वजूद किसी का सतत नहीं,

ये स्वप्न सा संसार,
सपनों जैसा ही रह गया,
उठा तो सब ठीक था,

पेडों के लहराते पत्र,
पक्षियों का कलरव,
काम पर लगे
घर के सभी सदस्य,
रोजमर्राह के काम में जुटी
अर्धांगिनी.

लगता है,
आज फिर,
अंधेरे में गायब,
वे सब दृश्य,
जो मन अशांत है,
उठ जाओ,
आपके पैरों तले जमीन है,

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 521 Views
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
Ashwini sharma
माँ मेरी जान
माँ मेरी जान
डिजेन्द्र कुर्रे
मुझे ताज महल नहीं चाहिए
मुझे ताज महल नहीं चाहिए
Jyoti Roshni
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
घर की चौखट से
घर की चौखट से
इशरत हिदायत ख़ान
एक पल हॅंसता हुआ आता है
एक पल हॅंसता हुआ आता है
Ajit Kumar "Karn"
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
यदि कोई व्यक्ति कोयला के खदान में घुसे एवं बिना कुछ छुए वापस
यदि कोई व्यक्ति कोयला के खदान में घुसे एवं बिना कुछ छुए वापस
Dr.Deepak Kumar
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
*हम चले तुम हमे अंतिम विदाई देना*
Er.Navaneet R Shandily
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
टूट गया दिल
टूट गया दिल
Shekhar Chandra Mitra
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
Phool gufran
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
आएगा संस्कार खुद, वहां दौड़ कर पास.
आएगा संस्कार खुद, वहां दौड़ कर पास.
RAMESH SHARMA
THE STORY OF MY CHILDHOOD
THE STORY OF MY CHILDHOOD
ASHISH KUMAR SINGH
दो घड़ी बसर कर खुशी से
दो घड़ी बसर कर खुशी से
VINOD CHAUHAN
*स्वयं से मिलन*
*स्वयं से मिलन*
ABHA PANDEY
संसार एवं संस्कृति
संसार एवं संस्कृति
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
#ਨੀਂਵੀਂ ਪਾ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜ ਦੇ
#ਨੀਂਵੀਂ ਪਾ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜ ਦੇ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
पूर्वार्थ
हटा 370 धारा
हटा 370 धारा
लक्ष्मी सिंह
"कैसे फैले उजियाली"
Dr. Kishan tandon kranti
*ट्रक का ज्ञान*
*ट्रक का ज्ञान*
Dr. Priya Gupta
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
डॉक्टर रागिनी
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
संजय कुमार संजू
गणित की ख़ोज
गणित की ख़ोज
Dr. Vaishali Verma
भविष्य प्रश्न
भविष्य प्रश्न
आशा शैली
*दहेज: छह दोहे*
*दहेज: छह दोहे*
Ravi Prakash
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
Loading...