Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

मौन हूँ, अनभिज्ञ नही

मौन हूँ, अनभिज्ञ नही

पीड़ा, जगत विरह की
सहज व अदृश्य नही।१।
रचयिता इसका फिर भी
मौन है, अनभिज्ञ नही।२।
रचना ‘मानस’ प्रकृति की
श्रेष्ठ है, कुत्सित नही।३।
मानस सब जानकर भी
विभक्त है,संकुचित नही।४।
अपकार, उपकार मिश्रित सी
कीमत नही समय की।५।
निराशा, विरह, लालसा ही
किंचित है, सर्वज्ञ नही ।६।
चाहता कौन है, दुख मे जीना
सिखा देती है मज़बूरी।७।
मुफ्त में वो पाता नही
करता है, जो मज़दूरी।८।
कड़ी धूप में, काम करे वह
क्षण भर भी , स्वार्थ नही।९।
सब कुछ सह कर, निस्वार्थ पड़ा है,
आज अमर , अजय वही।१०।
उफ तक न करता यह
मौन है, अनभिज्ञ नही ।११।
सब कुछ जानकर भी
सहन कर रहा मानव यहीं ।१२।
कर्म प्रधान बना मेरा भारत
क्षमता इसमे सहने की।१३।
पीड़ा, जगत मानस की
दयनीय है, असहनीय नही ।१४।
रचयिता इस संसार का
मौन है, अनभिज्ञ नही ।१५।

#संजय कुमार “सन्जू”
शिमला, हिमाचल प्रदेश

168 Views
Books from संजय कुमार संजू
View all

You may also like these posts

पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
नववर्ष के रंग मे ढ़लते है
नववर्ष के रंग मे ढ़लते है
Bhupendra Rawat
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
डी. के. निवातिया
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
- तुम्हे अब न अपनाऊंगा -
- तुम्हे अब न अपनाऊंगा -
bharat gehlot
फ़ासला गर
फ़ासला गर
Dr fauzia Naseem shad
व्यर्थ यह जीवन
व्यर्थ यह जीवन
surenderpal vaidya
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
manjula chauhan
माँ की दुआ
माँ की दुआ
Anil chobisa
पर्यावरण संरक्षण का नारा
पर्यावरण संरक्षण का नारा
Sudhir srivastava
व्योम को
व्योम को
sushil sarna
मन
मन
मनोज कर्ण
नहीं मैं -गजल
नहीं मैं -गजल
Dr Mukesh 'Aseemit'
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
इंसान बहुत सोच समझकर मुक़ाबला करता है!
इंसान बहुत सोच समझकर मुक़ाबला करता है!
Ajit Kumar "Karn"
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हर  तरफ  बेरोजगारी के  बहुत किस्से  मिले
हर तरफ बेरोजगारी के बहुत किस्से मिले
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/126.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पानी ही पानी
पानी ही पानी
TARAN VERMA
पिता
पिता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
एक मै था
एक मै था
Ashwini sharma
आँखें अश्क छिपाने की मुमकिन कोशिश करती है,
आँखें अश्क छिपाने की मुमकिन कोशिश करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Hard To Love
Hard To Love
Vedha Singh
आशियाना
आशियाना
Uttirna Dhar
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
Manisha Manjari
Loading...