कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
क्या होता है नजराना तुम क्या जानो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
*क्या कर लेगा इंद्र जब, खुद पर निर्भर लोग (कुंडलिया)*
■ बात सब पर लागू। नेताओं पर भी।।
तुम्हारी बात कैसे काट दूँ,
ज़िंदगी दफ़न कर दी हमने गम भुलाने में,
23/74.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र