Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2023 · 1 min read

असमंजस

आखिर ऐसा क्यों हो जनाब?
जब भी मिलते हो
बड़े असमंजस में दिखते हो,
आखिर खुद को कभी समझाते क्यों नहीं
जीने के अपने सिद्धांत बदलते क्यों नहीं
अपने जीवन के रंगढंग बदलते क्यों नहीं?
इस असमंजस से जितना जल्दी हो
निकल कर बाहर आ जाओ,
बेवजह खुद ही नहीं
औरों को भी बेवकूफ न बनाओ।
माना कि बड़ा कटु अनुभव है तुम्हारा
अपने और अपनों के साथ,
पर इसमें तुम्हारा भी है पूरा हाथ,
अपनी ही बोई फसल अब काट रहे हो
फिर भी दुनिया को गुमराह कर रहे हो,
बड़े गुरुर में रहते हो जो हर समय तुम
फिर भी दुनिया को दोषी ठहराकर
खुद बड़ा पाक साफ बन रहे हो,
घड़ियाली आँसू बहाकर सहानुभूति चाह रहे हो।
पर अब तो बेनकाब हो चुके हो तुम
हमारी नज़रों में भी आ गये हो तुम,
गुमराह करते करते खुद गुमराह होकर
सबसे बड़े बेवकूफ बन गए हो तुम।
अच्छा है कि अब हम सब के
दिमागी बल्ब रोशन हो गये हैं
भगवान भला करें तुम्हारा
हम सब तुमसे दूर हो रहे हैं
तुम्हारे चक्रव्यूह में फँसने के बजाय
खुद को बचाने के लिए कमर कस चुके हैं
तुम्हारे साथ रिश्ता रखकर
हम भी बहुत कटु अनुभव कर रहे हैं,
अब तुम अपना जानो समझो
तुमसे हम रिश्ता भी तोड़ रहे हैं,
अपने को आजाद कर रहे हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 82 Views

You may also like these posts

हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
साया ही सच्चा
साया ही सच्चा
Atul "Krishn"
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी,
Rituraj shivem verma
मौन सपने
मौन सपने
Akash RC Sharma
पर्यावरण के उपहासों को
पर्यावरण के उपहासों को
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
पूर्वार्थ
दुःख  से
दुःख से
Shweta Soni
आपकी खुशी
आपकी खुशी
Dr fauzia Naseem shad
"वक्त-वक्त की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
उम्मीद है दिल में
उम्मीद है दिल में
Surinder blackpen
एक शपथ
एक शपथ
Abhishek Soni
मैं- आज की नारी
मैं- आज की नारी
Usha Gupta
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Manisha Manjari
वक्त यह भी गुजर जाएगा
वक्त यह भी गुजर जाएगा
Khajan Singh Nain
सहनशीलता
सहनशीलता
Sudhir srivastava
कितनी जमीन?
कितनी जमीन?
Rambali Mishra
आक्रोश प्रेम का
आक्रोश प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
आकाश महेशपुरी की कुछ कुण्डलियाँ
आकाश महेशपुरी की कुछ कुण्डलियाँ
आकाश महेशपुरी
इच्छा और परीक्षा
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चीर हरण
चीर हरण
Dr.Pratibha Prakash
"मेरे देश की मिट्टी "
Pushpraj Anant
करपात्री जी का श्राप...
करपात्री जी का श्राप...
मनोज कर्ण
उनसे कहना वो मेरे ख्वाब में आते क्यों हैं।
उनसे कहना वो मेरे ख्वाब में आते क्यों हैं।
Phool gufran
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आत्मघात क्यों?
आत्मघात क्यों?
*प्रणय*
आप विषय पर खूब मंथन करें...
आप विषय पर खूब मंथन करें...
Ajit Kumar "Karn"
कुछ काम कर
कुछ काम कर
डिजेन्द्र कुर्रे
Loading...