ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
तेरे इकरार का बहुमत चाहिए
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
जिंदगी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
दुनिया में तरह -तरह के लोग मिलेंगे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिफल चलता रहता है
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
यह जो आँखों में दिख रहा है
- भाई से बड़ा नही कोई साथी -
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं