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25 Oct 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

बुराई भूल जाओ तो मनाया दशहरा मानो
कोई रोता हुआ तुमने हँसाया दशहरा मानो/1

पिता-माता तुम्हें प्यारे वचन उनके निभाते हो
यही निश्चय अगर दिल से निभाया दशहरा मानो/2

नहीं है भेद दिल में गर सभी से प्रेम करते हो
गले से रंक भी हँसकर लगाया दशहरा मानो/3

किसी शबरी के झूठे बेर खाने की इनायत हो
मुहब्बत से क़दम सदक़े बढ़ाया दशहरा मानो/4

लगाओ दश हरे पौधे जलाओ मत कहीं रावण
प्रदूषण सच में चाहत कर मिटाया दशहरा मानो/5

परायी नार को बहना समझ कर तुम करो रक्षा
हृदय के काम को खुलकर जलाया दशहरा मानो/6

बुराई का नतीज़ा भी बुरा होता समझ जाओ
भुलाकर शूल गुल कोई खिलाया दशहरा मानो/7

#आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
198 Views
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
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