वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
मुश्किल बहुत होता है मन को नियंत्रित करना
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
मन इतना क्यों बहलाता है, रोज रोज एक ही बात कहता जाता है,
है शामिल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है
*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
आज दिल ये तराना नहीं गायेगा,