यहां दिल का बड़ा होना महानता और उदारता का प्रतीक है, लेकिन उ
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
आँगन की दीवारों से ( समीक्षा )
ग़ज़ल _ खुशनुमा बन कर रहेगी ज़िंदगी।
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
अगर आपके पास निकृष्ट को अच्छा करने कि सामर्थ्य-सोच नही है,
दोहा पंचक . . . अन्तर्जाल
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
#हक़ीक़त
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जिस दिल में ईमान नहीं है,
आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो।
"एहसानों के बोझ में कुछ यूं दबी है ज़िंदगी