Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2023 · 1 min read

■ कितना वदल गया परिवेश।।😢😢

#शेर-
■ कितना वदल गया परिवेश।।😢😢

1 Like · 172 Views

You may also like these posts

..
..
*प्रणय*
2743. *पूर्णिका*
2743. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरा फरेब पहचानता हूं मैं
तेरा फरेब पहचानता हूं मैं
Chitra Bisht
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
शिव प्रताप लोधी
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
Neelofar Khan
A daughter's reply
A daughter's reply
Bidyadhar Mantry
पुरुष की चीख
पुरुष की चीख
SURYA PRAKASH SHARMA
नारी कब होगी अत्याचारों से मुक्त?
नारी कब होगी अत्याचारों से मुक्त?
कवि रमेशराज
मैं मकां उसी से बचा गया
मैं मकां उसी से बचा गया
Arvind trivedi
“सत्य वचन”
“सत्य वचन”
Sandeep Kumar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आसू पोछता कोई नहीं...
आसू पोछता कोई नहीं...
Umender kumar
बेदर्दी मौसम दर्द क्या जाने ?
बेदर्दी मौसम दर्द क्या जाने ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
!! शुभकामनाएं !!
!! शुभकामनाएं !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
" रागी "जी
राधेश्याम "रागी"
आईना भी तो सच
आईना भी तो सच
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
नया साल आने वाला है
नया साल आने वाला है
विक्रम सिंह
*हीरे को परखना है,*
*हीरे को परखना है,*
नेताम आर सी
महिला दिवस
महिला दिवस
ललकार भारद्वाज
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक
राजर्षि अरुण की नई प्रकाशित पुस्तक "धूप के उजाले में" पर एक नजर
Paras Nath Jha
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
सत्य कुमार प्रेमी
बेटीयांँ
बेटीयांँ
Mansi Kadam
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"रविवार दो कर दे"
Dr. Kishan tandon kranti
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
اب سیاست کے ڈھب اسکو آنےلگ
اب سیاست کے ڈھب اسکو آنےلگ
Kamil Badayuni
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
Loading...