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19 Jan 2024 · 1 min read

पुनर्जागरण काल

ये पावन पुनीत अमृत वेला है
जो पी रहा रस हो अलवेला है
हर तरफ एक ही गूंज गूंज रही
जय जय हो बस यही धूम रही
महक रहा अध्यात्म धर्म के संग है
चहक रहा समय करम के रंग है
देखो प्रजा में कैसा उल्लास है
झूम रहा धरती संग आकाश है
ये पुनरुत्थान का समय आया है
भक्ति प्रेम का अलख जगाया है
हे ईश्वर पूर्ण परमेश्वर जागे हर चेतना
हो नाम तुम्हारा भू सकल यही प्रार्थना

Language: Hindi
10 Likes · 225 Views
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