तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
खुद देख सको देखो ये हाल तुम्हारे हैं।
"सम्मान व संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में र
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हर जमीं का आसमां होता है।
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*जाना सबके भाग्य में, कहॉं अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
मैं उसका और बस वो मेरा था
सारे आयोजन बाहरी हैं लेकिन
बड़भागिनी
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)