"प्यार की अनुभूति" (Experience of Love):
दुनिया में लोग ज्यादा सम्पर्क (contect) बनाते हैं,
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
खैरात बांटने वाला भी ख़ुद भिखारी बन जाता है,
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
सावरे वो दिन भी, जरूर आयेगा।
चूहों का बदला - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
्किसने कहा नशें सिर्फ शराब में होती है,
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सफलता एक वाहन है जो कर्म के पहियों पर चलती है लेकिन आत्मविश्