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31 May 2023 · 1 min read

आधुनिकीकरण

यह आधुनिकीकरण !
मार दिया है जिसने
मानवता को।
फंसा दिया है मानव को
अंतहीन मृग-मरीचिका में।
हत्या कर दी है जिसने
समस्त
संवेदनाओं की।
मानव
सुन ही नहीं पाता
अन्तरात्मा की आवाज।
फंसा है बेबस- सा
मानसिक अशांति के
मकड़जाल में
होकर लाचार।
छटपटा रहा है
खोकर अस्मिता।
मैं पूछती हूँ
ऐसा आधुनिकीकरण
किस काम का है?
जिसने छीन ली है
हमारी चेतना,
हमारा अस्तित्वबोध,
हमारी परदुखकातरता,
हमारा जीवनशोध।
अभी भी समय है
अपनी संस्कृति को
बचा लें
वही होगी
जीवन दायिनी,
रक्षक और धात्री।
— प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)

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