Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 2 min read

ऑनलाइन काम

ऑनलाइन काम”

कोरोना लॉक डाउन में कार्यस्थल हो गए ख़ाली,
covid 19 संकट में, है हर तरफ़ बदहाली।

अब काम के लिए उत्तम जगह बस घर है,
ऑनलाइन काम संकट काल में एक अवसर है।

मज़दूर से ऑनलाइन का नहीं दूर का नाता,
शिक्षा, सूचना, प्रसारण को ऑनलाइन रास आता।

दुष्प्रचार और प्रोपगैंडा को ऑनलाइन ही भाता है,
इनके लिए अफ़वाहों का काम आसन हो जाता है।

इसको स्थापित करना सत्ता का ज़िम्मा है,
ऑनलाइन काम की भी अपनी कुछ सीमा है।

निजता पर हमला ना हो, इसकी क्या तैयारी है,
ऑनलाइन में डाटा चोरी होने का ख़तरा भारी है।

ऑनलाइन विकल्प नहीं है कार्यस्थल के कामों का,
लेना पड़ेगा सहारा संकट में कुछ पुख़्ता इंतज़ामों का।

कम्प्यूटर से ऑनलाइन कृषि योजना बन जाती है,
धरातल पर क्रियान्वयन में मुश्किल हो जाती है।

नौकरी, कार्यालय के काम में हो सकती है आसानी,
ऑनलाइन किसी भी सूरत में हो सकती नहीं किसानी।

दुष्प्रचार, अफ़वाहों को ऑनलाइन भी अवसर है,
ये तो प्रयोग करने वालों की नीयत ऊपर निर्भर है।

ट्विटर पर सरकार चल रही, मंत्रीगण हैं लगे हुए,
व्यवस्था को सुधारने हेतु रात-रात भर जगे हुए।

मशीनों का है लोड बढ़ गया बार-बार ये अटक रही,
व्यवस्था पटरी से उतरी रेल भी गंतव्यों से भटक रही।

किसानी संकट में भी आज उत्पादन है कर रही,
कृषि ही आज आपदा में मानव का पेट भर रही।

संकटकाल में भी जो उत्पादन कर रही वो खेती है,
किसान फसल ले रहा है और गाय भी दूध देती है।

ऑनलाइन में कारख़ाने बंद, है काम रुका,
है आपदा में मज़दूर बेबस, निरीह और भूखा।

संकट झेलता है मानव पर कभी नहीं झुका है,
मानव-विकास आपदाओं में भी कब रुका है।

142 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Khajan Singh Nain
View all

You may also like these posts

कुछ कशिश तिश्नगी में न थी।
कुछ कशिश तिश्नगी में न थी।
Dr fauzia Naseem shad
वीरों की धरती......
वीरों की धरती......
रेवा राम बांधे
अधिकारी
अधिकारी
OM PRAKASH MEENA
इच्छाओं का गला घोंटना
इच्छाओं का गला घोंटना
पूर्वार्थ
मैं कविता लिखता हूँ तुम कविता बनाती हो
मैं कविता लिखता हूँ तुम कविता बनाती हो
Awadhesh Singh
काहे की विजयदशमी
काहे की विजयदशमी
Satish Srijan
विदा पल कहूं कैसे, बिटिया आती रहना
विदा पल कहूं कैसे, बिटिया आती रहना
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
👍👍
👍👍
*प्रणय प्रभात*
कहूँ अजूबा मैं उन्हे,..... या बोलूँ नायाब
कहूँ अजूबा मैं उन्हे,..... या बोलूँ नायाब
RAMESH SHARMA
बैर नहीं प्रेम
बैर नहीं प्रेम
Sarla Mehta
*एकलव्य*
*एकलव्य*
Priyank Upadhyay
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
अधूरे उत्तर
अधूरे उत्तर
Shashi Mahajan
नस्ल ए फितरत को ना अब और आवारा कर तूं
नस्ल ए फितरत को ना अब और आवारा कर तूं
sainibhawna625
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
अंसार एटवी
तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
Atul "Krishn"
"ये लोकतंत्र है"
Dr. Kishan tandon kranti
जनता की कैसी खुशहाली
जनता की कैसी खुशहाली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पहले अपने रूप का,
पहले अपने रूप का,
sushil sarna
Tears in eyes
Tears in eyes
Buddha Prakash
खुद से ही बगावत
खुद से ही बगावत
Iamalpu9492
3206.*पूर्णिका*
3206.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दर्शन शुल्क*
*दर्शन शुल्क*
Dhirendra Singh
भारत मां के लाल
भारत मां के लाल
rubichetanshukla 781
" क़ैदी विचाराधीन हूँ "
Chunnu Lal Gupta
माफ सिया कर दिए गुनहगार हूं
माफ सिया कर दिए गुनहगार हूं
Baldev Chauhan
मेरे जीवन में जो कमी है
मेरे जीवन में जो कमी है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
देखेगा
देखेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हर बस्ती के राज छुपा कर रखे हैं
हर बस्ती के राज छुपा कर रखे हैं
दीपक बवेजा सरल
** गीतिका **
** गीतिका **
surenderpal vaidya
Loading...