Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2023 · 3 min read

*पत्रिका समीक्षा*

पत्रिका समीक्षा
पत्रिका का नाम : अध्यात्म ज्योति
अंक 1, वर्ष 56, प्रयागराज जनवरी से अप्रैल 2023
संपादन कार्यालय : श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत
61 टैगोर टाउन इलाहाबाद 211002 फोन 99369 17406
डॉ सुषमा श्रीवास्तव f 9, सी ब्लॉक तुलसियानी एंक्लेव, 28 लाउदर रोड, इलाहाबाद 211002 फोन 94518 43915
————————————–
समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
———————————–
अध्यात्म ज्योति के 129 वर्ष
———————————–
प्रथम पृष्ठ पर संधान शीर्षक से तीन बातें हमेशा से लिखी हुई मिलती हैं
प्रथम, जनमानस में आध्यात्मिक चेतना का विकास द्वितीय, साहित्य द्वारा विश्व बंधुत्व का वातावरण और तृतीय, विश्व कल्याण के लिए नि:स्वार्थ सेवा
इस बार के संपादकीय उदयाचल से पता चला कि यह संधान अर्थात लक्ष्य 129 वर्ष पुराना है । संपादकीय ने बताया कि 22 अप्रैल 1894 को विचार वाहन नामक हिंदी पत्रिका का प्रारंभ सागर, मध्यप्रदेश में हुआ था । इसके संस्थापक कर्नल ऑलकॉट थे। संपादक बालकृष्ण नरवरे थे। पत्रिका का उद्घाटन श्रीमती एनी बेसेंट ने किया था । यह तथ्य विचार वाहन को थियोसॉफिकल सोसायटी के विचार से जुड़ा हुआ एक पत्रकारिता का कार्य प्रमाणित करते हैं । ज्ञान कुमारी अजीत संपादक के अनुसार 1894 की विचार वाहन पत्रिका ही आज मध्य प्रदेश से चलकर बिहार उत्तर प्रदेश बंगाल दिल्ली होती हुई 1993 से प्रयागराज से निकल रही है । विचार वाहन के बारे में यह जानकारी बहुत कम है। यह केवल अध्यात्म ज्योति का इतिहास नहीं है, केवल थियोसॉफिकल सोसायटी की पत्रिका का भी इतिहास नहीं है, यह 129 वर्ष पुरानी हिंदी पत्रकारिता और विशेष रूप से आध्यात्मिक पत्रकारिता का इतिहास है । इसका विस्तृत लेखा-जोखा पाठकों के सामने रखा जाना चाहिए ।
टिम बॉयड ने अपने लेख में परस्पर विरोधाभासी विचारों और शब्दों के बीच आपसी सामंजस्य को स्थापित किया है । कुछ शब्दों को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया है । जैसे खाली होना ही भरा होना है अथवा मरने से ही हम जन्म लेते हैं । टिम बॉयड का कहना है कि यह गहरे विरोधाभासी विचार हैं किंतु आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह आधारभूत सत्य हैं और हमें इस मार्ग पर चलना है।
पुनर्जन्म के संबंध में शारदा चरण का लेख “पुनर्जन्म के क्रमिक विकास की प्रक्रिया” यह बताता है कि आत्मा का पुनः पुनः देह धारण करना उसकी नियति है।
एक लेख “पतंगे का लौ पर जल जाने का सिद्धांत” शीर्षक से जॉय मिल्स ने लिखा है। इनका कहना है कि जब भी मनुष्य द्वारा निर्मित वातावरण प्राकृतिक वातावरण से अत्यधिक भिन्न होता है, तब प्रजातियां इस प्रकार का व्यवहार करती हैं जो उन्हें नष्ट कर सकता है । दीपक की लौ पर पतंगे का मर जाना इनके अनुसार यही सिद्धांत है। लेखक ने धरती पर बढ़ते हुए प्रदूषण को इस रूप में लिया है कि इससे मानवता अंत के कगार पर आ जाएगी।
थिओसोफिकल सोसाइटी के संबंध में अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्रीमती ज्ञान कुमारी अजीत ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष राधा जी ने जब यह देखा कि ज्ञान कुमारी अजीत जी गुलाब के फूलों की माला उन्हें पहनाने के लिए लाई है और संकोचवश पहना नहीं रही है, तब उन्होंने उनके सम्मान का मान रखते हुए माला पहनी। इससे पता चलता है कि थिओसफी में हम लकीर के फकीर बन कर नहीं चलते ।
“भाग्य निर्माण में विचारों की भूमिका” शीर्षक से एस. एस. गौतम का लेख यह बता रहा है कि हमारे विचार ही हमारे भाग्य के निर्माता हैं। लेख प्रारब्ध कर्मों पर भी प्रकाश डालता है ।लेखक के अनुसार प्रारब्ध कर्म संचित कर्मों का एक अंश होता है। क्योंकि एक ही जन्म में सारे कर्म भोगे नहीं जा सकते हैं। कर्म और उनके फल एक कठिन विषय होते हुए भी लेखक ने भरसक प्रयत्न अपने पाठकों को समझाने के लिए किया है।
पत्रिका कुल मिलाकर अध्यात्म के प्रश्नों को कुरेदेने का काम कर रही है। यही वास्तविक लक्ष्य होना भी चाहिए। किसी पत्रिका को शुरू करने से भी ज्यादा कठिन काम उसे चलाते रहना है । इस कठिन साधना के लिए संपादक द्वय बधाई की पात्र हैं।

Language: Hindi
323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

*How to handle Life*
*How to handle Life*
Poonam Matia
क्षितिज के पार है मंजिल
क्षितिज के पार है मंजिल
Atul "Krishn"
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
मुबारक़ हो तुम्हें ये दिन सुहाना
Monika Arora
हिंदुत्व अभी तक सोया है
हिंदुत्व अभी तक सोया है
श्रीकृष्ण शुक्ल
You lose when you wish to win.
You lose when you wish to win.
पूर्वार्थ
इश्क
इश्क
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
पुत्र की भूमिका निभाते वक्त माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतर
पुत्र की भूमिका निभाते वक्त माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतर
पूर्वार्थ देव
चेतना समय है
चेतना समय है
Harinarayan Tanha
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
भ्रातत्व
भ्रातत्व
Dinesh Kumar Gangwar
हमें यह समझना होगा कि सब कुछ व्यक्तिपरक है। हर स्थिति को हल
हमें यह समझना होगा कि सब कुछ व्यक्तिपरक है। हर स्थिति को हल
ललकार भारद्वाज
मुझसे तुम अब यह मत चाहो
मुझसे तुम अब यह मत चाहो
gurudeenverma198
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खालीपन
खालीपन
ARPANA singh
है सच्ची हुकूमत दिल की सियासत पर,
है सच्ची हुकूमत दिल की सियासत पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रावण अब भी जिंदा है
रावण अब भी जिंदा है
श्रीहर्ष आचार्य
स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं :
स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं :
sushil sarna
टूट जाती हैं कगारें
टूट जाती हैं कगारें
Saraswati Bajpai
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
Dr fauzia Naseem shad
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
आर.एस. 'प्रीतम'
टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं।
टूटा दर्पण नित दिवस अब देखती हूँ मैं।
लक्ष्मी सिंह
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मां
मां
Phool gufran
जो आयीं तुम..
जो आयीं तुम..
हिमांशु Kulshrestha
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
P S Dhami
जब मैं ही नहीं
जब मैं ही नहीं
Iamalpu9492
"हम बड़ा तो हम बड़ा"
Ajit Kumar "Karn"
प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है
प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है
Pratibha Pandey
" विडम्बना "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...