जीवन का दर्द
मेरा दर्द मुझसे दूर क्यों नहीं होता,
मैं उससे दूर होता हूँ वह मुझसे दूर क्यों नहीं होता.!!
मैंने उससे कहा, ले पैसा और खुशी खरीद ला.!
बाजार गया, खाना शराब और शबाब ले आया.!!
ना मिटी भूख और ना मिटा मैं ही,
दर्द बढ़ता रहा और ज़िस्म मिटता रहा.!!
जो सड़क पर पड़ा था वह भी भूख से मरता रहा,
जो महलों में था वह भूख से तड़फ रहा.!!
ये दर्द ही दास्तान हो गयी है जिंदगी की,
पैदा होते हुए भी रोता रहा, जिंदा रहते हुए भी रोता रहा और मरते हुए भी रो रहा है..!!