Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2023 · 4 min read

कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य?

कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का-
भविष्य ? ”

हिंदी सिनेमा अभी जिस दौर से गुज़र रहा है वहां सफ़लता का प्रतिशत औसत से भी कम लग रहा है । फिल्म देखने वालों का भी एक विशेष वर्ग हो गया है जिसे बॉलीवुड की भाषा में
मास ऑडियंस और क्लास ऑडियंस कहा जाता है । विगत एक दशक का समीक्षात्मक मूल्यांकन किया जाए तो दर्शकों की पसंद अच्छा कंटेंट रहा है , उन बड़े बजट की फिल्मों को दर्शकों ने सिरे से नकार दिया जिसमें अच्छी कहानी का कहीं अता पता नहीं था । कम बजट की बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जिनके उम्दा कंटेंट ने न केवल बॉलीवुड को चौंकाया बल्कि टिकट खिड़की पर धन की बारिश भी कराई है । पिछले कुछ सालों में बड़े बजट और बड़ी स्टारकास्ट वाली बहुत सी फिल्में जिनमे ऋतिक रोशन की काइट्स , अभिषेक बच्चन की द्रोण , वरुण धवन की मल्टीस्टारर फिल्म कलंक , रणबीर कपूर की बॉम्बे वेलवेट , आमिर खान की ठग्स ऑफ हिंदोस्तान और लाल सिंह चड्ढा , कंगना रनौत की धाकड़ जैसी फ्लॉप फिल्में शामिल हैं जिनका स्तरहीन विषय और प्रस्तुति दोनो ही दर्शकों को थियेटर तक लाने में नाकामयाब रही । इसके विपरित कम बजट और सीमित प्रचार वाली फिल्में हिट और सुपरहिट साबित हुई जिनमें विद्या बालन की कहानी , मरहूम इरफान खान की पान सिंह तोमर , आयुष्मान खुराना की विकी डोनर और अंधाधुन , रानी मुखर्जी की मर्दानी और नो वन किल्ड जेसिका जैसी अनेक फिल्में सम्मिलित हैं जिनके उम्दा कॉन्टेंट ने यह साबित कर दिया कि आज का दर्शक मसाला फिल्मों से ऊब चुका है उसे फिल्म में एक अच्छी कहानी चाहिए जो उसका मनोरंजन कर सके ।
आज बॉलीवुड सिनेमा पर दक्षिण का रंग चढ़ता नज़र आ रहा है , बॉलीवुड में दक्षिण की फिल्मों के रीमेक बनाने की परंपरा ने अच्छी कहानियों को तो जैसे दफ्न ही कर दिया है ।
सलमान , शाहरूख , अजय देवगन और अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार, रीमेक में स्टॉरडम खोज रहे हैं , अक्षय तो इसमें पूरे फिसड्डी ही साबित हुए और लगातार फ्लॉप फिल्मों ( रक्षाबंधन , पृथ्वीराज , रामसेतु , सेल्फी ) की वजह से उनकी स्टारवेल्यू भी कम हुई है , कहानी के चयन में हुई लापरवाही ने उनके कैरियर पर भी सवालिया निशान उठा दिए हैं ।
अजय देवगन ने दृश्यम और दृश्यम २ के जरिए न केवल बॉलीवुड को हिट फिल्में दी हैं बल्कि यह भी बता दिया कि रीमेक में प्रस्तुतिकरण और पटकथा का प्रमुख रोल होता है
हालांकि उनकी हालिया रिलीज फिल्म भोला, (जो कि एक विशुद्ध मास ओरिएंटेड मूवी है) , बॉक्स ऑफिस पर औसत प्रदर्शन कर पाई । राम नवमी पर चार हज़ार ( लगभग ) स्क्रीन पर 2D , 3D aur IMAX फॉर्मेट में रिलीज़ भोला अब तक भारत में सौ करोड़ भी नहीं कमा पाई है , कहां कमी रह गई अजय देवगन की कोशिश में ? शायद यह एक एक्शन फिल्म बन कर रह गई जिसमे कई सवाल दर्शकों की जिज्ञासा ही बन कर रह गए और फिल्म के अंत में अभिषेक बच्चन को खलनायक के तौर पर पेश कर सीक्वल की जगह रखी , यह तो वही बात हुई की बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा की पढ़ाई । मेरी अनेक लोगों से बात हुई तो उन्होने यही कहा कि बॉलीवुड विषय चयन और कहानी पर ठीक से काम नहीं कर पा रहा है । इस वर्ष साढ़े तीन माह में सिर्फ पठान और tu झूठी मैं मक्कार फिल्म ही क्रमश ब्लॉकबस्टर और हिट रही है
अब सबकी निगाहें ईद पर लगभग चार साल बाद आने वाली सलमान खान की मसाला एंटरटेनर किसी का भाई किसी की जान पर टिकीं है , फिल्म का ट्रेलर ठीक ठाक है , जोरदार नहीं कहा जा सकता और सलमान की अब तक ईद पर रिलीज हुई फिल्मों के गीत भी सुपरहिट रहें चाहे वो दबंग का तेरे मस्त मस्त दो नैन हो या बॉडीगार्ड का तेरी मेरी हो या एक था टाइगर का माशाअल्लाह , बंजारा या सय्यारा गीत हो
बजरंगी भाईजान के सभी गीत , रिलीज़ के पहले लोगों की जुबान पर चढ़ चुके थे लेकिन इस आने वाली फिल्म का महज एक गीत नय्यो लगदा दिल ही अच्छा लगा ।
फिल्म का निर्देशन फरहाद सामजी जैसे फ्लॉप फिल्में देने वाले के हाथ में है अब फिल्म को खुद सल्लू भाई और उनकी स्टार पावर बचा सकती है , फिल्म की माउथ पब्लिसिटी अच्छी हुई तो पहले तीन दिन के वीकेंड में फिल्म अस्सी से नब्बे करोड़ रूपए कमा सकती है इसके विपरित यदि दर्शकों को फिल्म अच्छी न लगी बतौर कहानी और कंटेंट तो फिल्म से ज्यादा कलेक्शन की उम्मीद बेकार है , वैसे भी कोविड इरा के बाद ऑडियंस सिलेक्टिव हो गई है , टिकट के ज़्यादा दाम हर किसी को रास नहीं आ रहे । खैर अब समय तय करेगा कि आने वाले दिनों में अच्छे कॉन्टेंट के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य कैसा होगा क्योंकि सिर्फ मारधाड़ दिखा कर फिल्मों को हिट नहीं कराया जा सकता । पठान को जोरदार सफलता इसलिए प्राप्त हुई कि निर्देशक सिद्धार्थ आनन्द ने एक्शन को एक अलग ही लेवल पर पेश किया , यशराज फिल्म्स का वीएफएक्स भी अच्छा था जो कहानी की डिमांड के अनुरूप था , अब यशराज फिल्म्स ने वार २ , टाइगर vs पठान जैसी मैमथ एक्शन फिल्मों की आधिकारिक घोषणा कर दर्शकों के रोमांच को बढ़ा दिया है , दिवाली 2023 पर आने वाली टाइगर 3 , पठान का रिकॉर्ड स्मैश कर सकती है तो आने वाली कुछ बड़ी फिल्मों के लिए तैयार हो जाइए , मुकाबला दिलचस्प होने वाला है ।

© डॉ. वासिफ काज़ी
© क़ाज़ी की कलम

28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इन्दौर , मध्य प्रदेश

[ लेखक , सिनेमा विश्लेषक और समीक्षक हैं ]

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 550 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सूरज की संवेदना
सूरज की संवेदना
Dr B.R.Gupta
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
प्यास
प्यास
sushil sarna
दुखकर भ्रष्टाचार
दुखकर भ्रष्टाचार
अवध किशोर 'अवधू'
मस्ती में चूर - डी के निवातिया
मस्ती में चूर - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
*टमाटर (बाल कविता)*
*टमाटर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
VINOD CHAUHAN
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
अश्विनी (विप्र)
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
भारत में धार्मिक राजनीति प्रबल है यहां मंदिर और मस्जिद का नि
भारत में धार्मिक राजनीति प्रबल है यहां मंदिर और मस्जिद का नि
Rj Anand Prajapati
तलाश सूरज की
तलाश सूरज की
आशा शैली
सोच...….🤔
सोच...….🤔
Vivek Sharma Visha
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
जुगनू की छांव में इश्क़ का ख़ुमार होता है
जुगनू की छांव में इश्क़ का ख़ुमार होता है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यथार्थ
यथार्थ
Dr. Rajeev Jain
जब कभी मैं मकान से निकला
जब कभी मैं मकान से निकला
सुशील भारती
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
Abhishek Soni
#काश-
#काश-
*प्रणय प्रभात*
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
Vaibhavwrite..✍️
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
"राम की भूमि "
DrLakshman Jha Parimal
दो शब्द
दो शब्द
Dr fauzia Naseem shad
औरत की अभिलाषा
औरत की अभिलाषा
Rachana
यह गद्दारी गवारा नहीं ...
यह गद्दारी गवारा नहीं ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीवन की निरंतरता
जीवन की निरंतरता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
4814.*पूर्णिका*
4814.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
rekha mohan
*आवागमन के साधन*
*आवागमन के साधन*
Dushyant Kumar
जनता को तोडती नही है
जनता को तोडती नही है
Dr. Mulla Adam Ali
Loading...