Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2023 · 4 min read

■ चुनावी साल की सलाह

#सामयिक_व्यंग्य…
◆”आ बैल! मुझे मार” से बचें मास्टर
★ दिल खोल कर बांटें नम्बर
【प्रणय प्रभात】
हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकगण मामूली सी उदारता बरतें। ताकि अनचाही मुसीबत उनके सिर न आन पड़े। अगर वे देश के भविष्य मासूम बच्चों को अंक देते समय कृपणता की जगह उदारता बरतेंगे तो कोई आपदा नहीं आने वाली। सालाना परीक्षा का नतीजा ठीक रहेगा तो प्रयोगशाला बने प्रदेश की शिक्षा प्रणाली के सारे ऐब छुपे रह सकेंगे। शिक्षा को परखनली में डाले रखने के सरकारी मंसूबो पर आघात नहीं होगा। मुखिया जी और चौपालियों को थोथे गाल बजाने का मौका मिलेगा।
मदमस्त सरकार और निरंकुश अफ़सर ख़ुश होंगे तो आप पर गाज गिरना टल जाएगा। साथ ही अभिभावक और बच्चे भी हंड्रेड परसेंट संतुष्ट रहेंगे। उन्हें पुनर्मूल्यांकन के नाम पर लूट से छूट मिलेगी सो अलग। आपको भी कार्यवाही के नाम पर आर्थिक और मानसिक यंत्रणा से मुक्ति मिलेगी। जिसके लिए सरकारी दामाद लठ और झोला लेकर तैयार बैठे हुए हैं। हर साल की तरह, गिद्ध-दृष्टि लगाए। वैसे भी साल चुनावी और माहौल तनावी है। तभी तो परीक्षा से पहले पर्चे वायरल हो रहे हैं। ओटी वाले सवालों के जवाब केंद्रों तक पहुंच रहे हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे जेलों में बंद माफियाओं तक मोबाइल, हथियार और बाक़ी सामान पहुंचते हैं।
कुल मिला कर सवाल सरकारी भांजे-भांजियों के भविष्य की इमारत का है। फिर चाहे वो अवैध उत्खनन से निकली माफ़ियाई बालू पर ही क्यों न बन रही हो। आगे गिरे तो गिर जाए। न योग्य पैदा होंगे, न सरकारी जंवाई बन पाएंगे। घूमते रहेंगे कागज़ी अंकसूची लेकर। सूबे की साक्षरता दर तो बढाएंगे कम से कम। बिना मेहनत अच्छी श्रेणी पाएंगे तो पात्रता परीक्षा के पात्र बनेंगे। जितने ज्यादा पात्र होंगे उतनी ही तेज़ी से सरकार का भिक्षा-पात्र भरेगा। जीडीपी और इकोनॉमी आगे बढ़ेगी। डॉलर के मुकाबले रुपैया ताकतवर बबेगा।
फाइव-ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने में अकेला यूपी ही बाज़ी क्यों मारे? हर मामले में नवाचार की जगह नक़ल पर निर्भर “हार्ट-स्टेट” की साख क्यों गिरे, जिसे अगले 5 साल में “फेंफड़ा-प्रदेश” बनाने के बाद 10 साल में “गुर्दा-प्रदेश” बनाने की शपथ उठानी है? सरकार के अगाडी और गधे के पिछाड़ी चलने का हश्र पता न हो तो काहे के मास्टर? बच्चों को जयकारा नहीं सिखा पाओगे तो भीड़ का हिस्सा कैसे बनाओगे। जिस पर सियासत की हर नौटंकी की सफलता का किस्सा टिका है।
जबरन चाणक्य बनने की चेष्टा क्यों करना। वो भी “नंद” के बापों के साम्राज्य में, जहां “आह” भरना तो दूर, उसकी “चाह” तक करना “गुनाह” है। ऐसे में बेहतर है कि आप चुनावी साल की समयोचित सलाह को मानें। एकाध अंक बढा कर ही दें ताकि विद्यार्थियों के साथ आपका अपना भी भला हो। आशय किसी को धक्का देकर अगली कक्षा में भेजने का नहीं है। उसके लिए “रुक न जाना” जैसी “सःशुल्क” सेवा सरकार ख़ुद दे ही रही है। आप बच्चों को जबरन उत्तीर्ण करेंगे तो दयनीय राजकोष और दुर्बल हो जाएगा। ऐसे में निर्णय व नियंत्रण के मामले में निर्बल सरकार के सबल सिपहसालार “बढ़ न जाना” जैसी नई “योजना” गढ़ना शुरू कर देंगे। जो कल को आप जैसे खरबूजों के लिए “दुधारी छुरी” साबित होगी। आप अकारण “फुटबॉल” बन कर अफ़सरों और राजनेताओं के निशाने पर आ जाएंगे।
आपके ख़िलाफ़ तीसरा मोर्चा उन अवहिभावकों का होगा जो किसी न किसी सियासी आका को काका बनाए बैठे हैं। लिहाजा थोथे “आदर्शवाद” की “ऊबड़-खाबड़ पगडंडी” से बचें और समय की माँग के अनुसार “उदारवाद” व “अवसरवाद” का “बायपास रोड” काम में लें। जो आपको डायरेक्ट “राजपथ” से जोड़े रख सके। याद रहे किसी को एक अंक ज़्यादा देने से “सुनामी” नहीं आएगी, लेकिन आधा अंक कम देने से “महामारी” की “नई लहर” ज़रूर आ जाएगी। जो केवल और केवल आपके लिए “कहर” साबित होगी।
वैसे ही “हैप्पी वाले बड्डे” पर “लॉलीपॉप” और बज़ट में बड़े पैमाने पर झुनझुना वितरण के चक्कर में “चार्वाकी” खर्चे से खोपड़ी भन्नाई हुई है तंत्र की। उस पर पुरानी पेंशन को लेकर जायज़ बवाल से उपजी नाजायज़ टेंशन अलग से भेजा भड़का रही है। मंहगाई, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी की ओलावृष्टि की आशंकाएं गंजी खोपड़ी के लिए जी का जंजाल बन रही है। अस्थाई चाकर स्थाई होने का कोहराम मचा कर राम याद दिला रहे हैं। अब आप ही सोचिए कि “आ बैल! मुझे मार” वाली सोच ठीक है या फिर ईमानदारी की सनक के ख़िलाफ़ थोड़ा सा लोच? अब सलाह मानें या न मानें, आपकी मर्ज़ी। अपना काम तो राय-बहादुर, राय-चंद, राय साहब बने रहना है। भले ही कल सीबीआई दबोचे या सीडी।
अपनी भी छोटी सी समझ में यह बड़ी बात घुस चुकी है कि अब काम से नाम बनने वाला नहीं। नाम अब बदनाम होकर ही बनता है। तो क्यों न मौके, मौसम और दस्तूर का फायदा उठाएं और यह कह कर पिंड छुडाएं कि-
“बुरा न मानो होली है।
पोल ज़रा सी खोली है।।
जय जय मद्य-प्रदेश।।
★सम्पादक★
न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बुरा समय
बुरा समय
Dr fauzia Naseem shad
कल के मरते आज मर जाओ।
कल के मरते आज मर जाओ।
पूर्वार्थ देव
सडा फल
सडा फल
Karuna Goswami
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
वो तेरी पहली नज़र
वो तेरी पहली नज़र
Yash Tanha Shayar Hu
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
बच्चे ही अच्छे हैं
बच्चे ही अच्छे हैं
Diwakar Mahto
अगर कही आपका धन फंस गया हो वो आदमी सही ढंग से नहीं दे रहा हो
अगर कही आपका धन फंस गया हो वो आदमी सही ढंग से नहीं दे रहा हो
Rj Anand Prajapati
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
कल पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से धक्का दिया..!🫣💃
SPK Sachin Lodhi
मेरा हाथ
मेरा हाथ
Dr.Priya Soni Khare
अब क्या करे?
अब क्या करे?
Madhuyanka Raj
- धैर्य जरूरी है -
- धैर्य जरूरी है -
bharat gehlot
स्पर्श
स्पर्श
Satish Srijan
अब इश्क़ की हर रात सुहानी होगी ।
अब इश्क़ की हर रात सुहानी होगी ।
Phool gufran
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
The Tapestry of Humanity
The Tapestry of Humanity
Shyam Sundar Subramanian
मेरी कलम......
मेरी कलम......
Naushaba Suriya
गणतंत्र हमारा (गीत)
गणतंत्र हमारा (गीत)
Ravi Prakash
धन्यवाद , नव वर्ष को कहें।
धन्यवाद , नव वर्ष को कहें।
Buddha Prakash
जूते की चोरी
जूते की चोरी
Jatashankar Prajapati
साहित्य जिंदगी का मकसद है
साहित्य जिंदगी का मकसद है
हरिओम 'कोमल'
हम
हम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वीरबन्धु सरहस-जोधाई
वीरबन्धु सरहस-जोधाई
Dr. Kishan tandon kranti
खुदा तू भी
खुदा तू भी
Dr. Rajeev Jain
घर का हर कोना
घर का हर कोना
Chitra Bisht
हर बस्ती के राज छुपा कर रखे हैं
हर बस्ती के राज छुपा कर रखे हैं
दीपक बवेजा सरल
करूँ तो क्या करूँ मैं भी ,
करूँ तो क्या करूँ मैं भी ,
DrLakshman Jha Parimal
4159.💐 *पूर्णिका* 💐
4159.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...