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3 Mar 2023 · 1 min read

नैन फिर बादल हुए हैं

नैन फिर बादल हुए हैं ।

क्या निहारूँ फूल झरते
गंध को बेमौत मरते
लुट गए हैं पर्ण सारे
रंग भी काजल हुए हैं ।

नैन फिर बादल हुए हैं ।

छल कहाँ विश्राम लेते
दर्द आठों याम देते
मौनमुख कबतक न बोले
प्राण भी पागल हुए हैं ।

नैन फिर बादल हुए हैं ।

क्या मिला विष को पचाकर
कैर को चंदन बनाकर
क्षत रही वंशी हँसी की
हत सुखद मादल हुए हैं l

नैन फिर बादल हुए हैं ।

अशोक दीप
जयपुर
8278697171

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