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26 Feb 2023 · 1 min read

ज़ुल्मत की रात

खुलेआम ऐसी गुंडागर्दी
जंगल है कि शहर है यह
दूर करो यहां से बर्बरता
देश के लिए ज़हर है यह…
(१)
पुलिस वालों के सामने ही
ये लूट, मार और आगजनी
हम जैसे शरीफों के लिए
कितना बड़ा क़हर है यह…
(२)
प्यार, दोस्ती, भाईचारा
सब कुछ बह गया जिसमें
अंधी वतन परस्ती की
कैसी उन्मादी लहर है यह…
(३)
डुबकी लगा रहे हैं जिसमें
पुजारी, सेठ और वज़ीर
आंसू, ख़ून या तेज़ाब
आख़िर किसकी नहर है यह…
(४)
वे लोग होंगे खुशनसीब
जो देख पाएंगे नई सुबह
ज़ुल्मत की इस रात का
जाने कौन-सा पहर है यह…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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