Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Feb 2023 · 1 min read

सुन सको तो सुन लो

ज़ुल्मत की इस रात में भी
कोई किरन आती तो है
एक नई सुबह का पैगाम
बेचैन हवा लाती तो है…
(१)
लूटेरों और कातिलों ने
सब कुछ हमसे छिन लिया
फिर भी इंसानी जज़्बात की
हमारे पास थाती तो है…
(२)
अपनी आख़िरी सांस तक
फैलाएंगे हम रोशनी
अगर तेल चूक गया तो क्या
भीगी हुई बाती तो है…
(३)
फ़ाख़्ता से शाहीन तक
सभी जहां ख़ामोश हैं
चलो धीमे सुर में ही सही
कोई कोयल गाती तो है…
(४)
बड़े शौक़ से आकर सीखो
तुम इस पर निशानेबाजी
कोई तख्ती हो या न हो
एक शायर की छाती तो है…
(५)
करवट बदल कर अपनी
फिर सो जाते लोग तो क्या
उन बहरों के कानों तक
हमारी हांक जाती तो है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#tributetodushyantkumar
#Gazals #politics #इंकलाबी
#फनकार #भंडाफोड़ #गीत #सियासत
#जनवादी #बागी #Opposition
#lyricist #bollywood #lyrics
#दुष्यंत_कुमार_की_तर्ज_पर

Loading...