पूनम का चांद

सपने में चांद
सपने में है चांदनी ,सपने का है चांद ।
सुंदरता अद्भुत निरख, पगडण्डी को फांद।
पगडण्डी को फांद, हृदय कुलांचे मारे।
प्रिय प्रियतम की भाँति,प्रिये तुमको पुकारे।
कहें प्रेम कविराय, देख कर मुखड़ा अपने ।
रीझै बारंबार, निरख अति सुंदर सपने ।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम