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24 Sep 2022 · 1 min read

कह दूँ बात तो मुश्किल

ग़ज़ल

जो हुई ना मुलाकात तो मुश्किल
सबसे सच कह दूँ बात तो मुश्किल

चाहते हैं उन्हें दिलों जां से हम
कर बयां दूँ ये हालात तो मुश्किल

गुनगुना हम रहे हैं जिन्हें वर्षों से
होंठ पर आ गए नगमात तो मुश्किल

जो किसी के सामने याद में उनकी
आँख से बरसे बरसात तो मुश्किल

रात दिन बीतते कैसे तनहा अब
जो दिखा दूँ ये हालात तो मुश्किल

दुनिया ने हैं दिए जख्म गहरे जो
अब बता दूँ ये आघात तो मुश्किल

हाँ छुपा कर रखे हैं जमाने से
खुल गए दिल के जज्बात तो मुश्किल

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
22/9/2022
वाराणसी ,”©®

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