Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Dr fauzia Naseem shad
194 Followers
Follow
Report this post
21 Sep 2022 · 1 min read
अब हमें ख़्वाब
हम समझते हैं हर हक़ीक़त को ।
अब हमें ख्वाब थोड़ी आते हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
8 Likes
· 188 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
फ़ासले
Dr. Fauzia Naseem Shad
एहसास के मोती
Dr. Fauzia Naseem Shad
मेरे एहसास
Dr. Fauzia Naseem Shad
You may also like these posts
हमने भी तुझे दिल से निकाल दिया
Jyoti Roshni
राम
Madhuri mahakash
3261.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
मत भूल खुद को!
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
यु निगाहों का निगाहों से,
Manisha Wandhare
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कविता
Rambali Mishra
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
कम्बखत वक्त
Aman Sinha
थोड़ी थोड़ी शायर सी
©️ दामिनी नारायण सिंह
दुशासन वध
Jalaj Dwivedi
समेट लिया है मैं ने ,अपने अल्फाजों में खुद को ,
Neelofar Khan
अद्वितीय प्रकृति
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
"मन का स्पर्श"
।।"प्रकाश" पंकज।।
In the end, we always regret the choices we didn’t make, the
पूर्वार्थ
एग्जिट पोल्स वाले एनडीए को पूरी 543 सीटें दे देते, तो आज रुप
*प्रणय*
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -196 कुपिया से श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
स्वच्छता अभियान
Neha
आँखों ने समझी नहीं,
sushil sarna
बुरा समय
Dr fauzia Naseem shad
*अग्रसेन ने ध्वजा मनुज, आदर्शों की फहराई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"ईख"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
Neeraj Agarwal
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
Ashwini sharma
"एक सुबह मेघालय की"
अमित मिश्र
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बने हो फेसबूक के दोस्त,
DrLakshman Jha Parimal
हिंदुत्व सेमेटिक मतों से भिन्न श्रेणी में है । यहुदी, ईसाईयत
Acharya Shilak Ram
I want to have a sixth autumn
Bindesh kumar jha
Loading...