Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2022 · 2 min read

हर्षवर्धन महान

थे ‘बैस’ राजवंश के, हर्षवर्धन महान
तीर-ओ-कलम से बढ़ी, राजपूत की शान

वर्द्धन ‘पुष्यभूति’ रहा, राजवंश का नाम
कुछ हिन्दू, कुछ बौद्ध थे, किये प्रजा हित काम

‘पाँच सौवीं’ सदी रही, ‘नब्बे’ था तब वर्ष
‘यशोमती’ की गोद में, खेल रहे थे हर्ष

राज्य अभिषेक जब हुआ, ‘छह सौ छह’ था वर्ष
‘छह सौ सैंतालीस’ तक, राज किये थे हर्ष

जननी नाम ‘यशोमती’, जनक ‘प्रभाकर’ वीर
भ्रात ‘राजवर्धन’ कड़े, बहन ‘राज्यश्री’ धीर

पिता प्रभाकर की वीरता, पराजित हुए हूण
लक्ष्य वही लेकर चले, पुत्र हर्ष सम्पूर्ण

थानेश्वर–कन्नौज को, राजहित किया एक
चले युद्ध अभियान पर, करते विलय अनेक

‘नाग’-‘रत्न’-‘प्रियदर्शिका’, संस्कृत नाटक तीन
साहित्य रचा हर्ष ने, उत्तम लगे नवीन

अद्भुत ‘नागानन्द’ है, ‘रत्नावली’ विशेष
क्या कहने प्रियदर्शिका, हर्ष नाटिका शेष

वीणा वादन में रहे, निपूर्ण ‘हर्ष’ विशेष
मन्त्रमुग्ध हो शत्रु भी, भूले सब विद्वेष

•••

______________________
*हर्षवर्धन (जन्म: 590 ई. तथा मृत्यु: 647 ई.) प्राचीन भारत में अन्तिम यशस्वी हिन्दू राजा था जिसने उत्तरी भारत के एक बड़े भूभाग पर 606 ई. से 647 ई. तक शासन किया। महान हर्षवर्धन राजे जी, वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन का पुत्र था। जिसके पिता अल्कोन हूणों को पराजित किया था। जब हर्ष का शासन अपने चरमोत्कर्ष पर था तब उत्तरी और उत्तरी-पश्चिमी भारत का अधिकांश भाग उसके राज्य के अन्तर्गत आता था। उसका राज्य पूरब में कामरूप तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। कन्नौज उसकी राजधानी थी जो आजकल उत्तर प्रदेश में है। उसने 647 ई. तक शासन किया। हर्षवर्धन बैस क्षत्रिय वंश के थे।

**हर्ष साहित्य और कला का पोषक था। कादंबरीकार बाणभट्ट उसका अनन्य मित्र था। हर्ष स्वयं वीणा बजाता था। हर्ष की लिखी तीन नाटिकाएँ ‘नागानन्द’, ‘रत्नावली’ और ‘प्रियदर्शिका’ संस्कृत साहित्य की अमूल्य निधियाँ हैं।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 842 Views
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all

You may also like these posts

सिंदूर 🌹
सिंदूर 🌹
Ranjeet kumar patre
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
पूर्वार्थ
آنسوں کے سمندر
آنسوں کے سمندر
अरशद रसूल बदायूंनी
इश्क़ में कोई
इश्क़ में कोई
लक्ष्मी सिंह
उम्र गुजर जाती है
उम्र गुजर जाती है
Chitra Bisht
मैं चाहती हूँ
मैं चाहती हूँ
Shweta Soni
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
कलम ही नहीं हूं मैं
कलम ही नहीं हूं मैं
अनिल कुमार निश्छल
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
उज्जवल रवि यूँ पुकारता
उज्जवल रवि यूँ पुकारता
Kavita Chouhan
सज्ज अगर न आज होगा....
सज्ज अगर न आज होगा....
डॉ.सीमा अग्रवाल
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
Dr Archana Gupta
* कौन है *
* कौन है *
surenderpal vaidya
काबिल बने जो गाँव में
काबिल बने जो गाँव में
VINOD CHAUHAN
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
संबंध की एक गरिमा होती है अगर आपके कारण किसी को परेशानी हो र
Ashwini sharma
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
..........लहजा........
..........लहजा........
Naushaba Suriya
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रास्तों को भी गुमनाम राहों का पता नहीं था, फिर भी...
रास्तों को भी गुमनाम राहों का पता नहीं था, फिर भी...
manjula chauhan
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
जीवन है मेरा
जीवन है मेरा
Dr fauzia Naseem shad
न जाने  कितनी उम्मीदें  मर गईं  मेरे अन्दर
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
इशरत हिदायत ख़ान
"महान ज्योतिबा"
Dr. Kishan tandon kranti
4017.💐 *पूर्णिका* 💐
4017.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
उसी वक़्त हम लगभग हार जाते हैं
Ajit Kumar "Karn"
Loading...