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25 Oct 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . .

दोहा त्रयी. . .

जाने यह इंसान क्यों , अक्सर जाता भूल ।
पुष्प दलों को छेदते, उसके अपने शूल ।।

सुख की परतों में कई , अनदेखे हैं शूल ।
इनकी तीखी वेदना, याद दिलाती भूल ।।

अंतस के हर भाव का, नयन करें अनुवाद ।
मौन पलों को चीरती, उस जुल्मी की याद ।।

सुशील सरना / 25-10-24

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