Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 1 min read

सज्ज अगर न आज होगा….

सज्ज अगर न आज होगा।
किस तरह फिर काज होगा ?

फिर घिरेगी रात काली,
फिर तमस का राज होगा।

सामना कर मुश्किलों का,
सच ! सभी को नाज होगा।

दुख हरेगा जो जगत के,
सिर उसी के ताज होगा।

चीर बाधा उड़ गया जो,
वो सफल परबाज होगा।

खिलखिलाते बंधु होंगे।
नोचता सर बाज होगा।

क्या अनोखी रात होगी,
क्या अनोखा साज होगा।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )

1 Like · 96 Views
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मेरे प्यारे बच्चों
मेरे प्यारे बच्चों
Abhishek Rajhans
********** आजादी के दोहे ************
********** आजादी के दोहे ************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बाल-कर्मवीर
बाल-कर्मवीर
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
बार -बार कहता दिल एक बात
बार -बार कहता दिल एक बात
goutam shaw
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
Abhishek Soni
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,
सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,
Chaahat
जब कोई व्यक्ति विजेता बनने से एक प्वाइंट या एक अंक ही महज दू
जब कोई व्यक्ति विजेता बनने से एक प्वाइंट या एक अंक ही महज दू
Rj Anand Prajapati
स्वयं अपने चित्रकार बनो
स्वयं अपने चित्रकार बनो
Ritu Asooja
सिर्फ़ शिकायत करते हो।
सिर्फ़ शिकायत करते हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अब हमारे देश में
अब हमारे देश में "नाबालिग़" का मतलब है "लाइसेंस होल्डर क्रिमि
*प्रणय*
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
"सुख-दुःख"
Dr. Kishan tandon kranti
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
Neelofar Khan
कैलेंडर नया पुराना / मुसाफ़िर बैठा
कैलेंडर नया पुराना / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रिश्ते-नाते
रिश्ते-नाते
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
4941.*पूर्णिका*
4941.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
#प्राण ! #तुम बिन. . .!
#प्राण ! #तुम बिन. . .!
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
आशुतोष शंकर अविनाशी, तुम पर जग बलिहारी
आशुतोष शंकर अविनाशी, तुम पर जग बलिहारी
Dr Archana Gupta
गरीब–किसान
गरीब–किसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
पं अंजू पांडेय अश्रु
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
पूर्वार्थ
दोहा पंचक. .
दोहा पंचक. .
sushil sarna
नन्हें परिंदे भी जान लेते हैं,
नन्हें परिंदे भी जान लेते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रभु श्रीराम पधारेंगे
प्रभु श्रीराम पधारेंगे
Dr. Upasana Pandey
बारिश!
बारिश!
Pradeep Shoree
मैं पुरखों के घर आया था
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
Loading...