*पहनो मास्क (पाँच दोहे)*
पहनो मास्क (पाँच दोहे)
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(1)
मास्क लगाकर ही मिलो ,सबसे बरखुरदार
चाहे कोई गैर हो , या फिर रिश्तेदार
(2)
कोरोना से मर रहे , निर्धन – धनी समान
गुमनामी में कुछ मरे ,कुछ प्रसिद्ध इंसान
(3)
बीमारी ज्यादा हुई , फिर भी लापरवाह
कुछ दिन पहनो मास्क को ,जीने की यदि चाह
(4)
झूठे मास्कों से हुई , जुर्माने की मात
जीती बीमारी मगर , असली था आघात
(5)
अस्पताल का बिल बड़ा ,आधा मरण-समान
रोग नहीं प्रभु जी लगे , होगी कृपा महान
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451