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15 Oct 2022 · 1 min read

अब कितना कुछ और सहा जाए-

….

अब कितना कुछ और सहा जाए,
होठो कब तक हाथ रखा जाए !

तुम ही बतला दो मेरे आका
मुँह खोले या मौन रहा जाए !

साहिब पूछ रहे है मुर्गे से,
फंदा ढीला, और कसा जाए !

साँसे अटकी चाहे गरदन में,
फिर भी अच्छा दौर कहा जाए !

आज मिटा दो कल की पहचानें,
इतिहास नया दौर रचा जाए !

फरमान हुआ सांपो से बिल से,
दुर्बल को पुरजोर डसा जाए !

रोजी रोटी की बातें छोडो,
धरम अभी बलवान रखा जाए !
!
डी के निवातिया

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