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14 Aug 2022 · 1 min read

तुम्हारे लिए

मेरी दिनचर्या का पल पल तुम्हें लेकर चलता है
तुम बताओ तुम्हारा काम धाम कैसा चलता है

क्या अब भी रोती हो पहले और फिर
चुप कराने वाले पर गलतियाँ डाल देती हो

है क्या कोई जो प्यार से समझता है तुम्हें
और तुम अपना सारा गुस्सा निकाल देती हो

हाँ माफी भी वह बार-बार मांग ही लेता होगा
तुम सब याद रखती हो या दिमाग से निकाल देती हो

हाँ प्यार में गुस्सा करना तो तुम्हारा जायज है
पर क्या कभी उसकी परेशानी भी संभाल लेती हो

क्या उसे कभी रोते देख दिल दुखता है
या अब भी मुझे बहुत काम है कहकर टाल देती हो

हाँ मैं तो हासिल कर पाऊँ कुछ यह उम्मीद ना थी
पर तुम भविष्य अच्छा जान लेती हो

सच कहा था तुमने कि देखे हैं तुमने कई लोग सफल
सफल एक तरह से और इसे सच मान लेती हो

हाँ मेरी सफलता के मानक कुछ अलग थे
पर क्या फर्क पड़ता है तुम कहाँ ध्यान देती हो

तुम खुश रहना
मैं खुश हो जाऊंगा
तुम सब कहना
मैं चुप हो जाऊंगा

-मोहन तुम्हारा

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