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9 Jul 2022 · 1 min read

कण-कण तेरे रूप

झुरमुटों की
छाँव में,
सुन्दर सरोवर,
गांँव में,
हरियाली इसके
चहुंँओर,
पशु-पक्षी
करते किलोल,
फल-फूल से
लदे उपवन,
मधु-पराग को
फिरते भ्रमर,
मद-सुवास से
मादक पवन,
वश में नहीं
पागल ये मन,
मन में बसे प्रभु
राधा के संग,
रचने लगे वे
रास-रंग,
मैं भाव-विभोर
बेसुध फिरूंँ,
प्रभु संग रास
मैं भी करूंँ,
प्रभु दे वर, इसी
भ्रम में जिऊंँ,
कण-कण तेरे रूप
के दर्शन करूंँ।

मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)

Language: Hindi
6 Likes · 8 Comments · 541 Views
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