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27 Apr 2022 · 1 min read

बदनामी के धुंए

कभी बदनामी के धुंए उठें थें मेरे दहलीज से भी
कई मुद्दत बीत गए, फिर भी सुलगती है सीने बीच आग आज भी।।

नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार

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