Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2022 · 2 min read

प्रणाम : पल्लवी राय जी तथा सीन शीन आलम साहब

चली गईं अनंत की यात्रा पर दो महान आत्माएँ
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
मृत्यु की कलुषता पता नहीं कितने कठोर प्रहार करने के लिए कटिबद्ध हो चली है ! आकाशवाणी रामपुर की एनाउंसर श्रीमती पल्लवी रॉय के निधन की सूचना से गहरा धक्का लगा । आपके पति और जेठ सक्सेना बंधुओं से मेरा अच्छा संपर्क था। शोक के अवसर पर उनके प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं ।
#पल्लवी_रॉय_जी बेहद खुशमिजाज महिला थीं। सलीका उनके स्वभाव में बसा हुआ था । मधुर मुस्कान भुलाई नहीं जा सकती । रामपुर नुमाइश में नुमाइश के लोगो( Logo) का पुरस्कार – वितरण समारोह जब संभवतः एक – दो साल पहले चल रहा था ,तब उस समारोह का संचालन पल्लवी रॉय जी ने ही किया था । मैंने उनका संचालन देखा – सुना और मुग्ध हो गया था। शहद – भरी मीठी आवाज भुलाई नहीं जा सकती । अनेक अवसरों पर उनसे नमस्ते भी हुई । व्यक्तित्व प्रभावशाली था तथा अभी उन्हें अनंत ऊंचाइयों को छूना था । किंतु काल की क्रूरता देखिए ! अल्पायु में ही वह अनंत की यात्रा पर चली गईं। मुझे समाचार से बहुत दुख हो रहा है ।
#सीन_शीन_आलम_साहब* रामपुर में विद्वानों की अग्रणी पंक्ति के श्रेष्ठ व्यक्ति थे। उनका निधन बौद्धिक जगत के लिए एक गहरी क्षति है । आकाशवाणी रामपुर को जब 50 वर्ष पूरे हुए ,तब सीन शीन आलम साहब से मेरी दुआ – सलाम शायद पहली बार हुई थी । अत्यंत आत्मीय भाव से सीन शीन आलम साहब मिले थे और वही आत्मीयता रह – रह कर इस समय याद आ रही है । उनकी चार पंक्तियों से उनको याद कर रहा हूँ:-

सब कहीं पीछे छूट – छाट गए
वो जमाने वो ठाट -बाट गए

कौन तोलेगा तुझको फूलों में
वो तराजू गई वो बाट गए
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
757 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

अस्तित्व
अस्तित्व
Shweta Soni
फूल
फूल
आशा शैली
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Ritesh Deo
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
समय की बहती धारा में
समय की बहती धारा में
Chitra Bisht
तेवरी ग़ज़ल से अलग कोई विधा नहीं + डॉ . परमलाल गुप्त
तेवरी ग़ज़ल से अलग कोई विधा नहीं + डॉ . परमलाल गुप्त
कवि रमेशराज
दरवाजे
दरवाजे
पूर्वार्थ
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
Manisha Manjari
मोबाइल का रिश्तों पर प्रभाव
मोबाइल का रिश्तों पर प्रभाव
Sudhir srivastava
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
लूट कर चैन दिल की दुनिया का ,
Phool gufran
हे कृतघ्न मानव!
हे कृतघ्न मानव!
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
VINOD CHAUHAN
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
Ram Krishan Rastogi
बड़े अच्छे दिन थे।
बड़े अच्छे दिन थे।
Kuldeep mishra (KD)
श्याम दिलबर बना जब से
श्याम दिलबर बना जब से
Khaimsingh Saini
साथ हूँ।
साथ हूँ।
लक्ष्मी सिंह
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
वह गांव की एक शाम
वह गांव की एक शाम
मधुसूदन गौतम
"यही वक्त है"
Dr. Kishan tandon kranti
चाँद पर तिरंगा
चाँद पर तिरंगा
Savitri Dhayal
!! आशा जनि करिहऽ !!
!! आशा जनि करिहऽ !!
Chunnu Lal Gupta
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
समय को भी तलाश है ।
समय को भी तलाश है ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जुमले
जुमले
Khajan Singh Nain
दोहा
दोहा
seema sharma
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
निज गौरव, निज मर्यादा का
निज गौरव, निज मर्यादा का
करन ''केसरा''
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
निंदा और निंदक,प्रशंसा और प्रशंसक से कई गुना बेहतर है क्योंक
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...