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14 Apr 2022 · 1 min read

"भोर"

🌞 “भोर” 🌞
🌅🌅🌅🌅

सबके जीवन में हर रोज़ आए ऐसा भोर।
सूर्योदय के दृश्य सा सजा हो हरेक सोच।
प्रभु का प्रातः वंदन कर जगाएं ज्ञान बोध।
हर क्रियाकलाप ही हो‌ सतरंगी से सराबोर।

( स्वरचित एवं मौलिक )

© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 14 / 04 / 2022.
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