Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2022 · 1 min read

दोहे

कुछ दोहे
*****
रोम रोम में राम है ,
रोम रोम है राम ।
राम राम स्वीकारिये ,
हे प्रभु सीताराम ।।
*
जनक नन्दिनी जानकी ,
जनकसुता जगपाल ।
जय जय जय जगदम्बिका ,
ज्योति तिहारौ लाल ।।
*
वैदेही की कामना ,
पूर्ण करी ज्यों अम्ब ,
तैसै ही अपनी कृपा ,
रखना माँ जगदम्ब ।।
*
महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा !
***

Language: Hindi
364 Views
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
View all

You may also like these posts

बारिश
बारिश
मनोज कर्ण
#प्रसंगवश-
#प्रसंगवश-
*प्रणय*
- मेरी त्रुटीया अपनो को पहचानने में -
- मेरी त्रुटीया अपनो को पहचानने में -
bharat gehlot
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शब्दों के कारवाँ
शब्दों के कारवाँ
Kshma Urmila
जज़्बात........
जज़्बात........
sushil sarna
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
हो मुखर
हो मुखर
Santosh kumar Miri
अब ये ना पूछना कि,
अब ये ना पूछना कि,
शेखर सिंह
खोखले शब्द
खोखले शब्द
Dr. Rajeev Jain
"मुश्किलें हमें मंजिल तक पहुंचाती हैं ll
पूर्वार्थ
खबर देना
खबर देना
Dr fauzia Naseem shad
जीवन आशा
जीवन आशा
Neha
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*धोखा नहीं दिया है (गीत)*
*धोखा नहीं दिया है (गीत)*
Ravi Prakash
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
Sonam Puneet Dubey
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Kumar lalit
3901.💐 *पूर्णिका* 💐
3901.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
Ranjeet kumar patre
परिणाम विश्लेषण, (घनाक्षरी छंद)
परिणाम विश्लेषण, (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
"चाह"
Dr. Kishan tandon kranti
"मेरा जिक्र"
Lohit Tamta
जल से सीखें
जल से सीखें
Saraswati Bajpai
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
हिंदी दोहे - सभा (दोहाकार- राजीव नामदेव राना लिधौरी)
हिंदी दोहे - सभा (दोहाकार- राजीव नामदेव राना लिधौरी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कोई क्यों नहीं समझ पाता हमें?
कोई क्यों नहीं समझ पाता हमें?"
Ritesh Deo
Loading...