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1 Apr 2022 · 1 min read

💐 मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ 💐

डॉ ० अरुण कुमार शास्त्री एक 💐 अबोध बालक

अरुण अतृप्त

💐मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ💐

👍बालगीत👍

मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ

कहती रहती बाहर जाऊँ

रोक सकूँ मैं कैसे उसको

खोजा करता यही बताऊँ

आओ गोरां आओ शंकर

सुनो सुनो मैं तुम्हें बताऊँ

इक दिन थी बरसात हो रही

झर झर झर झर ,झरना जैसे

बिल्ली मौसी इधर घूमती

उधर घूमती चौकस चम्पा

रानी जैसे, गुपचुप बाहर निकली

बनती हो चतुर सयानी जैसे

भीग गई फिर बारिश में वो

पूरी थी खिसियानी ऐसे

नोंच रही थी खम्बा पल पल

बनती चतुर सयानी कैसे

मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ

कहती रहती बाहर जाऊँ

रोक सकूँ मैं कैसे उसको

खोजा करता यही बताऊँ

इक दिन की फिर बात सुनो तुम

घर में कालू कुत्ता आया

राजू मेरा दोस्त था लाया

सिट्टी पिट्टी ग़ुम थी उसकी

जैसे किसी ने करण्ट लगाया

बार वो झांक रही थी

पल पल खम्बा नौच रही थी

इक पल भी न चैन था उसको

हर पल दाढ़ी नौच रही थी

आओ गोरां आओ शंकर

सुनो सुनो मैं तुम्हें बताऊँ

मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ

कहती रहती बाहर जाऊँ

रोक सकूँ मैं कैसे उसको

खोजा करता यही बताऊँ

इक दिन की फिर बात सुनो तुम

घर में हम ख़रगोश थे लाये

खेल खेल के दोनों ने

थे घर को सारे सर पे उठाये

इक दिन की फिर बात सुनो तुम

हो गई ख़त्म कहानी देखो

हँसी हँसी में खुशी खुशी में

सुनी सुनाई कहानी देखो

मेरी बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ

कहती रहती बाहर जाऊँ

रोक सकूँ मैं कैसे उसको

खोजा करता यही बताऊँ

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