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1 Apr 2022 · 1 min read

दिल की गिरहें खोल दो

जर्रा-जर्रा बोल उठें हैं दिल की गिरहें खोल दो
कब तक जीओगे यू घुट-घुट के
बदुरूस्ती-ए-होशो-हवास में रहना सिख लों।।

नीतू साह
जर्रा-जर्रा=कण-कण
बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास=विवेक के साथ

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