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21 Mar 2022 · 1 min read

कुटुंब गुच्छ

कुटुम्ब*

भाव भरो तुम आत्म में ,
व्यष्टि करो विस्तार ।
वसुधा सुखद कुटुंब है ,
रचा जिसे करतार ।।

ध्वजा *

ध्वजा हिंद की शान है ,
गायें जन गण गान ।
विश्व पटल संदेश दो ,
भारत देश महान ।।

मिलन*

मन से मन का मिलन ही ,
कहलाता है श्रेष्ठ ।
तोड़ वासना की कड़ी ,
भाव सजगता ज्येष्ठ ।

संगीत
मीठे स्वर संगीत के,
जो देते रस घोल ।
शब्द विषैले घाव दे ,
बोलो सुन्दर बोल ।

साधना
एक साधना नित्य कर ,
चिंतन अरु अभ्यास ।
गढ़ो सुजस की चाँदनी ,
नूतन विमल प्रभास ।

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
वाराणसी
स्वरचित मौलिक सृजन

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