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30 Nov 2021 · 1 min read

कौआ स्नान

पाइन देखि ठंडा-ठंडा, ओहिना सिहरै लोक
ठंढक ऐहन प्रकोप में, केना नहैत हेतै लोक

सोचि-सोचि देह हमर भुलकै…ओ! हो! हो!
पहिल लोटा जखन माथ पर, ढारैत हेतै लोक

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