Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2022 · 1 min read

समझदारी एक ढोंग

आस्था की मान्यता.
और उस पर निर्वहन.
सहजता नहीं एक बंधन है.
इससे पार पाने के लिए.
स्वयं के प्रति जागरण और
मन की प्रकृति का अध्ययन
आवश्यक है.
.
एक दोहा…
समझदारी एक ढोंग है,
तरस खाये कौन,
जो बताये खौफ खाये
भला देखिए मौन.

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 417 Views
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

मेरा भारत देश
मेरा भारत देश
Shriyansh Gupta
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
Dr Archana Gupta
यह कौनसा आया अब नया दौर है
यह कौनसा आया अब नया दौर है
gurudeenverma198
आलिंगन
आलिंगन
Ruchika Rai
कैसी ये पीर है
कैसी ये पीर है
Dr fauzia Naseem shad
कोशिश
कोशिश
Girija Arora
क्यो नकाब लगाती
क्यो नकाब लगाती
भरत कुमार सोलंकी
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
Phool gufran
अपना पद अउर कद के खयाल जरूर रहो
अपना पद अउर कद के खयाल जरूर रहो
अवध किशोर 'अवधू'
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Sangeeta Beniwal
"चल मुसाफिर"
Dr. Kishan tandon kranti
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
#आत्मीय_मंगलकामनाएं
*प्रणय*
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
ललकार भारद्वाज
बाद के लिए कुछ मत छोड़ो
बाद के लिए कुछ मत छोड़ो
पूर्वार्थ
Talash
Talash
Mamta Rani
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
Shweta Soni
बच्चें और गर्मी के मज़े
बच्चें और गर्मी के मज़े
अमित
तारीफ किसकी करूं
तारीफ किसकी करूं
डॉ. दीपक बवेजा
मीडिया का वैश्विक परिदृश्य
मीडिया का वैश्विक परिदृश्य
Sudhir srivastava
हिंदी है भारत देश की जुबान ।
हिंदी है भारत देश की जुबान ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
हिंदी काव्य के छंद
हिंदी काव्य के छंद
मधुसूदन गौतम
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
कमजोर से कमजोर स्त्री भी उस वक्त ताकतवर हो जाती है जब उसे,
कमजोर से कमजोर स्त्री भी उस वक्त ताकतवर हो जाती है जब उसे,
Ranjeet kumar patre
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
4657.*पूर्णिका*
4657.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम खुद से प्यार करते हैं
हम खुद से प्यार करते हैं
ruby kumari
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...