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19 Feb 2022 · 1 min read

दिख रहा है

दिख रहा जो, वही अंधेरा है ।
दूर नज़रों से कब सवेरा है ।।

मैल दिल में कोई नहीं रखना ।
दिल में रब का अगर बसेरा है ।।

छीन लेता है साथ अपनों का ।
वक़्त वो बेरहम लूटेरा है ।।

सब मुसाफ़िर हैं एक मंज़िल के ।
ये जहां तेरा है और न मेरा है ।।

दिख रहा जो, वही अंधेरा है ।
दूर नज़रों से कब सवेरा है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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