मन का मालिक कोई और नहीं..!

सूझ-बूझ अपने पास है,
अपने-अपने समझ की बात है,
जीवन जीना स्वयं को ही है ,
यह एहसास अपने ही पास है ,
तन का मालिक कोई गैर नहीं ,
मन का मालिक कोई और नहीं..।
मन की बात मन हीं जाने,
क्या करना है आप ही जाने,
खुला हुआ जग का भंडार है,
यह संसार है मन पहचान है,
असली चेहरा मन दर्पण है ,
मन का मालिक कोई और नहीं …।
जो भी है सब मन से ही है ,
मन ही में सारे दुख सुख है ,
जिस मन को तुम यथार्थ करो ,
जीवन यूंँ ही न बर्बाद हो ,
चंचल मन कोई और न साधे,
मन का मालिक कोई और नहीं…।
जो भी पाना है मन से ही पाओगे,
मन से ही खुद को जगाओ गे ,
कोई गैर न मन को समझा पाए ,
मन की गति कोई पार न पाए ,
खुद ही मन को विराम दो ,
मन का मालिक कोई और नहीं…।
मन ही अच्छा मन ही बुरा है ,
मनमानी कोई धैर्य नहीं ,
रूठ जाए तो मन की दुविधा ,
मन का पंछी कहीं दूर नहीं ,
मन में अपना लगाम कसो ,
मन का मालिक कोई और नहीं…।
✍?
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।