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1 Feb 2022 · 1 min read

जो सहज ही ख़ुशी ख़ुशी, खुद का ढोये भार l

जो सहज ही ख़ुशी ख़ुशी, खुद का ढोये भार l
यूँ ही रख रख जिन्दगी, खुशियाँ सहज उभार ll

बार बार लूटा मुझे, शर्मनाक है घात l
वो बार बार है लुटा, सहज शर्म की बात ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

Language: Hindi
265 Views

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